Monday, March 24, 2008

ईस्टर एग (स्वाद जरा हट के )

अब गोवा मे रहें और ईस्टर एग ना खाया जाए ये तो कुछ ठीक नही है। ईस्टर एग यहां पर कई फ्लेवर मे जैसे चौकलेट ,काजू,शुगर कोटेड आदि और कई साईज मे मिलते है। और हर एक का दाम भी अलग-अलग ही होता है। और विभिन्न तरह की टोकरियों मे सुन्दर-सुन्दर पन्नियों मे लपेटा रहता है। ईस्टर एग की ख़ास बात ये है की इसे तोड़ते नही है बल्कि इसे काटते है और जब इसे काटते है तो इसके अंदर से भी छोटी-छोटी कैंडी निकलती है। है ना मजेदार बात।

यूं तो ईस्टर एग तकरीबन हर पेस्ट्री शॉप पर मिलता है पर कई बार ईस्टर के दिन मिलना मुश्किल हो जाता है।यहां की कुछ पेस्ट्री शॉप जैसे mongini और pastry palace ,Mr baker पर आसानी से मिल जाता है।


और हमने दो तरह के एक काजू फ्लेवर और दूसरा चौकलेट फ्लेवर खरीदा।
ये बड़ा वाला रंग -बिरंगा एग काजू फ्लेवर का है । और काटने के बाद इसके भीतर की कैंडी भी आप इस फोटो मे देख सकते है। इसकी कीमत ८० रूपये है।

ये छोटा चौकलेट फ्लेवर वाला एग कुछ-कुछ कछुए की शेल जैसा लग रहा है। और इसके अंदर भी छोटी-छोटी अलग-अलग आकार की चौकलेट थी। इस छोटे एग का दाम ४० रूपये था।

ये दोनों ईस्टर एग जितने सुन्दर दिख रहे है खाने मे भी उतने ही स्वादिष्ट है। और ये कहना ग़लत नही होगा की ये दोनों पैसे की पूरी वसूली देते है।
नोट -- अगर आप कभी ईस्टर मे गोवा आये हुए हो तो ईस्टर एग जरुर खाइयेगा क्यूंकि ये भी एक अनुभव ही है



10 comments:

ghughutibasuti said...

गोआ आएँगे तो खाएँगे नहीं आप खिलाएँगी ! मेहमान तो आपके ही हो जाएँगे ना ! हाहा, घबराइये नहीं । केवल आपको बता देंगे कि हम भी यहाँ ही घूम रहे हैं ।
घुघूती बासूती

annapurna said...

ये क्या बात हुई ईस्टर पर गोवा आए तो एग ज़रूर खाए। अरे भई ऐसे कहिए - ईस्टर पर गोवा में आप हमारे मेहमान है बताइए कौन सा एग पहले लेंगे।

mamta said...

घुघुती जी और अन्नपूर्णा जी अगर हमारे रहते आप गोवा आई तब तो हम आपको कहीं और रुकने ही नही देंगे।और आप हमारी ही मेहमान होंगी।

अरे क्या आप लोगों ने इतने दिन मे हमे इतना ही जाना है कि आपके आने से हम घबरा जायेंगे। अरे नही अहो-भाग्य हमारे।

राज भाटिय़ा said...

ममता जी ऎसा लगता हे भारत के एक कोने मे युरोप की कुछ झलक मिलती हे,

कुन्नू सिंह said...

मुझे तो चाईनीज लाईटर बहुत पसंद आई क्यो कि वो पेन कि तरह है! और पेपर मे वही ले जाऊंगा जीससे पेपर ही जल जाएगा और मेरे छोटॆ सीर मे जो छॊटा दीमाग है वो कम ईस्तेमाल होगा!!
hee hee!

Admin said...

हमारा गोवा जाना तो न जाने कब हो..आप हमारा हिस्सा हमें यहीं भेज दीजिये,,

vikas pandey said...

ईस्टर पर वाकई मे western ghat में यूरोप की झलक मिल जाती है. मंगलूर मे भी यही नज़ारा था. यहा तो स्वाद चख लिया, अब आपका लेख पढ़ने के बाद गोआ भी जाने का प्रयास होगा.

डॉ .अनुराग said...

vah ......muh me pani aayegi.....

rakhshanda said...

thank u mamta ji..mujhe hosla dene ke liye..i m new for this blog world...mujhe aap sab se kafi seekhna hai abhi...can i call u didi?

mamta said...

रक्शंदा आप चाहे तो दीदी कह सकती है।